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मनोवृत्ति

'है किसो गले घर को लड़को।'

'वेश्या है साहब, आप इतना भी नहीं समझते ?'

'वेश्या इतनी फूहड़ नहीं होती।'

'और भले पर छौ लड़कियों फूहड़ होती हैं ?

'नई आजादी है, नया नशा है।'

"हम लोगों को तो बुरी-भली घट गई। जिनके सिर आयेगी वह झेलेंगे।'

'जिन्दगी जहन्नुम से पक्षता हो जायगी।'

'अफसोस, लवानी रुखसत हो गई।'

'मगर भाख तो नहीं बन सत हो गई, वह दिल तो नहीं रखपत हो गया।'

'बस, आँख से देखा सरो, दिल जलाया करो।'

'मेरा तो फिर जवान होने को जी चाहता है। सच पूछो तो आजकल के सीवन में ही ज़िन्दगी की बहार है। हमारे रक्कों में तो कहीं कोई सुरत ही नजर न आतो थी । आज तो जिधर जाओ, हुस्न-ही-हुस्न के पालवे हैं।'

'सुना, युवतियों को दुनिया में जिस चीज से सबसे ज़्याश नफरत है,वह बूढे मर्द हैं।'

इसजा कायल नहीं। पुरुष का जौहर उसको जवानी नहीं, उसका शक्ति- सम्पन्न होना है। कितने हो बूढे जवानो से ज्यादा अड़ियल होते हैं। मुझे तो आये दिन इसके तजरबे होते हैं। मैं हो अपने को किधी जवान से कम नहीं समझता।'

'यह सब सही है ; पर बूढ़ो का दिल कमजोर हो जाता है। अगर यह बात न होती, तो इस रमणी को इस तरह देखकर हम लोग यो न चले जाते । मैं तो आँखों भर देख भी न सका। डर जा रहा था कि वो उसकी आँखें खुल जाये और वह मुझे तारते देख ले तो दिल में क्या समझे।'

'खुश होतो कि बूढ़े पर भी उसका जादू चल गया।'

'अजी, रहने भी दो।'

'आप कुछ दिनों 'योझासा' का सेवन कीजिए।'

'चन्द्रोदय खाकर देख चुका । सब लूटने को पाते हैं।'

'मकी-ग्लैंड लगवा लीजिए न ?'

'आप इस युवती से मेरी बातें पक्की करा दें। मैं तैयार हूँ।'

'हां, यह मेरा जिम्मा , बगर भाई हमारा हिस्सा भी रहेगा।'

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