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मानसरोवर


हामिद ने आखिरी छोर लगाकर कहा--- भिश्ती झो एक डॉट बतायेगा, तो दौड़ा हुआ पानी लाकर उसके द्वार पर छिड़कने लगेगा।

मोहसिन परास्त हो गया ; पर महमूद ने कुमक पहुँचाई-अगर अचा पड़ जायें तो अदालत में बँध-बँधे फिरेंगे। तब त वकील साहव के ही पैरो पड़ेंगे।

हामिद इस प्रबल तर्क का जवाब न दे सका। उसने पूछा-हमें पकड़ने कौन जायेगा ?

नूरे ने अकड़कर कहा---यह सिपाही बन्दूकवाला।

हामिद ने मुंह चिढ़ाकर छह ---यह बेचारे हम बहादुर रुस्तमै-हिन्द छौ पड़ेगे ! अच्छा लाओ, अभी ज़रा कुस्ती हो जाये। इसी सूरत देखकर दूर से भागेंगे। पकड़ेगे क्या बेचारे।

मोहदिन को एक नई चौट सूझ गईं---तुम्हारे चिमटे का ६ रोज़ आगे में बढ़ेगा।

उसने वहा था कि हामिद लाजवाब हो जायगा ; लेकिन यह बात न हुई। हामिद ने तुरंत जवाब दिया---आह में बहादुर ही कूदते हैं जनाव, तुम्हारे यह वकील, सिपाही और भित्ती लेढिय की तरह घर में घुस जायेंगे। अग में कूदना वह काम हैं, जो यह रुस्तमे-हिन्द ही कर सकता है।

अहमूद ने एक ज़ोर लगाया-वकील साहब कुरसी-मेज पर बैठेंगे, तुम्हारा चिमटा तो दायरचीखाने में ज़मीन पर पड़ा रहेगा।

इस तर्क ने सम्मी और नूरे को भी सजीव कर दिया। कितने ठिकाने की बात कही है पट्ठे ने। चिमदा बावरचौरवाने में पड़ा रहने के सिवा और क्या कर सकता है।

हामिद को कोई फड़कता हुआ जवाब न सूझा तो उसने धाँधली शुरू कीमेरा चिमटा वावरचौखाने में नहीं रहेगा। वळील साइन कुरसी पर बैठेंगे, तो जाकर उन्हें जमीन पर पटक देगा और इनका कानून- उनके पेट में डाल देगा।

बात कुछ बनी नहीं। खासी गालो-गलौज थी ; हेकिन कानून कौ पैट में डालनेवाली बात छा गईं। ऐसी छा गई कि तीनों सूरसा मुंह ताकते रह गये, मान कोई धेलचा कॅकौआ किसी गण्डेवाले कीए को काट गया हो। कानून मुंह से बाहर निकलनेवाली चीज़ है। उसको पेट के अन्दर डाल दिया जाना, बेतुकी-सी बात होने पर भी कुछ नयापन रखती है। हामिद ने मैदान मार दिया। उसका चिमटा रुस्तमे