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उन्माद

मनहर-उस वक्त मै भी मुर्ख था जेनी ।

जेनो--ऐसी मूर्ख लड़की से तुमने विवाह क्यों किया ?

मनहर-विवाह न करता तो माँ-बाप ज़हर खा लेते ।

जेनी-वह तुम्हे प्यार कैसे करने लगी ?

मनहर---और करती क्या । मेरे सिवा दूसरा था हो कौन । घर से बाहर निकलने पाती थी , मगर प्यार हममें से किसी को न था । वह मेरी आत्मा और हृदय को सन्तुष्ट न कर सकती थी। जेनी, मुझे उन दिनों की याद आती है, तो ऐसा मालूम होता है कि कोई भयंकर स्वप्न था । उफ ! अगर वह स्त्री आज जिवित होती, तो आज मैं किसी अँधेरे दफ्तर में बैठा क़लम घिसता होता । इस देश में आकर मुझे यथार्थ ज्ञान हुआ कि संसार में स्त्री का क्या स्थान है, उसका क्या दायित्व है, और जीवन उसके कारण कितना आनन्दप्रद हो जाता है। और जिस दिन तुम्हारे दर्शन हुए, वह तो मेरी ज़िन्दगी का सबसे मुबारक दिन था । याद है तुम्हें वह दिन ? तुम्हारी वह सूरत मेरी आँखों में अब भी फिर रही है।

जेनी--अब मैं चली जाऊँगी । तुम मेरी खुशामद करने लगे।

( २ )

भारत के मजदूरदल-सचिव थे लार्ड बारवर, और उनके प्राइवेट सेक्रेटरी थे मि. कावर्ड । लार्ड बारवर भारत के सच्चे मित्र समझ जाते थे । जब कैंसरवेटिव और लिब- रल दलों का अधिकार था, तो लार्ड बारबर भारत की बड़े जोरों से वकालत करते थे । वह उन मन्त्रियों पर ऐसे-ऐसे कटाक्ष करते कि उन बेचारो को कोई जवाब न सूझता। एक बार वह हिदुस्तान आये थे और यहाँ कांग्रेस में शरीक भी हुए थे। उस समय उनकी उदार वक्तृताओं ने समस्त देश में आशा और उत्साह को एक लहर दौड़ा दी थी। काग्रेस के जलसे के बाद वह जिस शहर मे गये, जनता ने उनके रास्ते मे आँखें बिछाई , उनकी गाड़ियाँ खींची, उनपर फूल बरसाये। चारों ओर से यही आवाज़ आती थी- यह है भारत का उद्धार करनेवाला। लोगो को विश्वास हो गया कि भारत के सौभाग्य से अगर कभी लार्ड बारवर को अधिकार प्राप्त हुआ, तो वह दिन भारत के इतिहास में मुबारक होगा।

लेकिन अधिकार पाते ही लार्ड बारबर में एक विचित्र परिवर्तन हो गया। उनके सारे सद्भाव, उनकी उदारता, न्यायपरायणता, सहानुभूति अधिकार के भँवर मे पड़