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न्याय

कुरेशियों ने जब यह खबर पाई, तो जल उठे। राजन खुदा का ! इस्लाम ने तो बड़े-बड़े घरों पर भी हाथ साफ करना शुरू किया ! अगर यही हाल रहा, तो धीरे- धीरे उसकी शक्ति इतनी बढ़ जायगी कि हमारे लिए उसका सामना करना कठिन हो जायगा । अबुलआस के घर पर एक बड़ी मजलिस हुई ।

अवूसिफियान ने, जो इस्लाम के दुश्मनो मे सबसे प्रतिष्ठित मनुष्य था, अबुल- आस से कहा--तुम्हे अपनी बीवी को तलाक देना पड़ेगा ।

अबुलआस ने कहा- हरगिज नहीं।

अबूसिफियान-तो क्या तुम भो मुसलमान हो जाओगे ?

अबुलआस - हरगिज़ नहीं।

अवूसिफियान-तो उसे मुहम्मद ही के घर रहना पड़ेगा।

अबुलआस-हरगिज नहीं। आप लोग मुझे आज्ञा दीजिए कि उसे अपने घर लाऊँ।

अबूसिफियान - हरगिज़ नहीं।

अवुलआस---क्या यह नहीं हो सकता कि वह मेरे घर मे रहकर अपने इच्छा- नुसार खुदा की बन्दगी करे ?

अबूसिफियान- हरगिज़ नहीं ।

अबुलआस - मेरो कौम मेरे साथ इतनो सहानुभूति भी न करेगी ?

अबुसिफियान-हरगिज नहीं।

अबुलआस-तो फिर आप लोग मुझे समाज से पतित कर दोजिए। मुझे पतित होना मंजूर है। आप लोग और जो सज़ा चाह दें, वह सब मंजूर है , मगर मैं अपनी बीवी को नहीं छोड़ सत्ता। मैं किसी की धार्मिक स्वाधीनता का अपहरण नहीं करना चाहता, और वह भी अपनी बीवी की।

अ० सि०---- कुरैश मे क्या और लड़कियां नहीं है ?

अ० आ०--- जैनर की-सी कोई नहीं। .

अ० सि०-हम ऐसी लड़कियां बता सकते हैं, जो चाँद को लजित कर दें।

अ० आo-मैं सौदर्य का उपासक नहीं।

अ० सि०-- ऐसी लड़कियाँ दे सकता हूँ, जो गृह-प्रबन्ध में निपुण हों, बातें ऐसी