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रियासत का दीवान

'इसे आप विवाह कहकर 'विवाह' शब्द को क्लकित करते हैं। यह बलात्कार

'आप अपने होश में हैं?

'खूब अच्छी तरह।'

'मैं आपको धूल में मिला सकता हूँ !'

'तो आपकी गद्दी भी सलामत न रहेगी ।'

'मेरी नेकियों का यही बदला है, नमकहराम ।'

'आप अब शिष्टता की सीमा से आगे बढे जा रहे हैं, राजा साहब । मैंने अब तक अपनी आत्मा की हत्या की है और आपके हरएक जा और बेजा हुक्म की तामील की है , लेकिन आत्मसेवा की भी एक हद होती है, जिसके आगे कोई भला आदमी नहीं जा सकता। आपका यह कृत्य जधन्य है और इसमें जो व्यक्ति आपका सहायक हो, वह इसी योग्य है कि उसकी गर्दन काट ली जाय। मैं ऐसी नौकरी पर लानत भेजता हूँ।'

यह कहकर वह घर आये और रातो-रात बोरिया बकचा समेटकर रियासत से निकल गये , मगर इसके पहले सारा वृत्तान्त लिखकर एजेण्ट के पास भेज दिया।




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