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बालक


चाहता हूँ, लेकिन अगर तुम्हारा मन मुझसे फिर नहीं गया है, तो मेरे साथ चलो। गंगू जीते-जी तुमसे वेवफाई नहीं करेगा। मैंने तुमसे इसलिए व्याह नहीं किया कि तुम देवी हो , बल्कि इसलिए कि मैं तुम्हें चाहता था और सोचता था कि तुम भी मुझे चाहती हो । यह बच्चा मेरा बच्चा है । मेरा अपना बच्चा है। मैंने एक बोया हुआ खेत लिया तो क्या उसकी फसल को इसलिए छोड़ दूंगा कि उसे किसी दूसरे ने बोया था।

यह कहकर उसने ज़ोर से ठट्ठा मारा ।

मैं कपड़े उतारना गया । कह नहीं सकता, क्यो मेरी आँखें सजल हो गई । न-जाने वह कौन-सी शक्ति थी, जिसने मेरी मनोगत घृणा को दबाकर मेरे हाथो को बढा दिया। मैंने उस निष्कलक चालक को गोद में ले लिया और इतने प्यार से उसका चुम्बन लिया कि शायद अपने बच्चों का कभी न लिया होगा।

गंगू बोला-वाबूजी, आप बड़े सज्जन हैं। मैं गोमतो से बार-बार आपका बखान किया करता हूँ। कहता हूँ, चल एक बार उनके दर्शन कर आ , लेकिन मारे लाज के आती हो नहीं।

मैं और सज्जन ! अपनी सज्जनता का पर्दा आज मेरी आँखों से हटा । मैंने भक्ति से डूबे हुए स्वर में कहा- नहीं जी, मेरे-जैसे कलुषित मनुष्य के पास वह क्या आयेंगी। चलो, मैं उनके दर्शन करने चलता हूँ। तुम मुझे सज्जन समझते हो ? मै ऊपर से सज्जन हूँ, पर दिल का कमीना हूँ। असली सज्जनता तुममें हैं और यह बालक वह फूल है, जिससे तुम्हारी सज्जनता की महक निकल रही है।

मैं बच्चे को छाती से लगाये हुए गंगू के साथ चला ।


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