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मानसरोवर

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जैसे कोई विजयी सेनापति हो। यह कांस्टेबल कैसे दुम दबाकर भाग खड़े हुए; लेकिन तुम्हें तो नहीं छोड़ता बचा, जो कुछ हो, देखा जायेगा, जब तक मेरे पास यह रिवाल्वर है, तुम मेरा क्या कर सकते हो। तुम्हारे सामने तो घुटना न टेकूंगा।

युवक समीप आ गया और कुछ बोलना ही चाहता था कि सेठजी ने रिवाल्वर निकालकर फायर कर दिया। युवक भूमि पर गिर पड़ा और हाथ-पाँव फेकने लगा।

उसके गिरते ही सज़रो में उत्तेजना फैल गई। अभी तक उनमें हिंसाभाव न था, वे केवल सेठजी को यह दिखा देना चाहते थे कि तुम हमारी मजूरी काटकर शान्त नहीं बैठ सकते, किन्तु हिसा ने हिंसा को उद्दीप्त कर दिया। सेठजी ने देखा, प्राण संकट में है और समतल भूमि पर वह रिवाल्वर से भी देर तक प्राण-रक्षा नहीं कर सकते, पर भागने को कहीं स्थान न था। जब कुछ न सूझा, तो वह रूई की गाँठ पर चढ़ गये और रिवाल्वर दिखा-दिखाकर नीचे वाले को ऊपर चढ़ने से रोकने लगे। नीचे पाँच-छ. सौ आदमियों का घेरा था ऊपर सेठजी अकेले रिवाल्वर लिये खड़े थे। कहीं से कोई मदद नहीं आ रही है और प्रतिक्षण प्राणों की आज्ञा क्षीण होती जा रही है। कास्टेबलों ने भी अफसरों को यहाँ की परिस्थिति नहीं बतलाई, नहीं तो वया अबतक कोई न आता! केवल पाँच गोलियों से कबतक जान बचेगी १ एक क्षण में यह सब समाप्त हो जायेंगी। भूल हुई, मुझे बन्दूक और कारतूस लेकर आना चाहिए था। फिर देखता इनकी बहादुरी। एक-एक को भूनकर रख देता, मगर क्या जानता था, यहाँ इतनी भयंकर परिस्थिति आ खड़ी होगी।

नीचे के एक आदमी ने कहा-लगा दो गाँठ में आग, निकालो तो एक माचिस। सुई से धन कमाया है, रूई की चिता पर जले। तुरन्त एक आदमी ने जेब से दियासलाई निकाली और आग लगाना ही चाहता था कि सहसा वही जख्मी युवक पीछे से आकर सामने खड़ा हो गया। उसके पाँव में पट्टी बची हुई थी, फिर भी रक्त बह रहा था। उसका मुख पीला पड़ गया था और उसके तनाव से मालुम होता था कि युवक को असह्य वेदना हो रही है। उसे देखते ही लोगों ने चारों तरफ से आकर घेर लिया। उस हिसा के उन्माद में भी अपने नेता को जीता-जागता देखकर उनके हर्ष की सीमा न रही। जयघोष से काम गूंज उठा—गोपीनाथ की जय।

ज़ख्मी गोपीनाथ ने हाथ उठाकर समूह को शान्त हो जाने का संकेत करके