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कानूनी कुमार

मि° कानूनी कुमार, एम्. एल. ए. अपने आफिस मे समाचार-पत्रो, पत्रि- काओं, रिपोर्टों का एक ढेर लिए बैठे हैं। देश की चिन्ताओं से उनकी देह स्थूल हो गई है , सदैव देशोद्धार की फिक्र में पड़े रहते हैं । सामने पार्क है । उसमे कई लड़के खेल रहे हैं। कुछ परदेवाली स्त्रियाँ भी है, फेसिग के सामने बहुत-से भिखमंगे बैठे हुए हैं, एक चायवाला एक वृक्ष के नीचे चाय बेच रहा है।

कानूनी कुमार-(आप-ही-आप) देश की दशा कितनी खराब होती चली जाती है । गवर्नमेट कुछ नहीं करती। बस, दावत खाना और मौज उड़ाना उसका काम है। (पार्क की ओर देखकर) आह ! यह कोमल कुमार सिगरेट पी रहे हैं । शोक, महा- शोक । कोई कुछ नहीं कहता, कोई इसके रोकने की कोशिश नहीं करता। तम्बाकू कितनी जहरीली चीज़ है । वालको को इससे कितनी हानि होती है, यह कोई नहीं जानता । ( तम्बाकू की रिपोर्ट देखकर ) ओफ । रोगटे खड़े हो जाते हैं। जितने बालक अपराधी होते है, उनमें ७५ प्रति सैकड़े सिगरेटबाज होते हैं। बड़ी भयंकर दशा है । हम क्या करें ! लाख स्पीचें दो, कोई सुनता ही नहीं। इसको कानून से रोकना चाहिए, नहीं तो अनर्थ हो जायगा । ( कागज़ पर नोट करता है ) तम्बाकू बहि- ष्कार-बिल पेश करूँगा। कौंसिल खुलते ही यह बिल पेश कर देना चाहिए। (एक क्षण के बाद फिर पार्क की और ताकता है, और परदेदार महिलाओं को घास पर बैठे देखकर लम्बी साँस लेता है । )

राजब है, कितना घोर अन्याय ! कितना पाशविक व्यवहार ! यह कोमलांगी सुन्द- रियां चादर में लिपटी हुई कितनी भद्दी, कितनी फूहड़ मालूम होती हैं । अभी तो देश का यह हाल हो रहा है । ( रिपोर्ट देखकर ) स्त्रियों की मृत्यु-संख्या बढ रही है। तपेदिक उछलता चला आता है, प्रसूति की बीमारी आंधी की तरह चढी आती है, और हम हैं कि आँखें बन्द किये पड़े हैं । वहुत जल्द ऋषियों की