बना दो, इससे देश का जितना बड़ा उपकार होगा, उतना और किसी कानून से न
होगा । तुम्हारा नाम अमर हो जायगा और घर-घर तुम्हारी पूजा होगी!
कानूनी-- अगर तुम्हारा ख्याल है कि मैं नाम और यश के लिए देश की सेवा कर रहा हूँ, तो मुझे यही कहना पड़ेगा कि तुमने मुझे रत्ती भर भी नहीं समझा।
मिसेज---नाम के लिए कोई बुरा काम नहीं है, और तुम्हे यश की आकांक्षा हो, तो मैं उसकी निन्दा न करूँगो, भूलकर भी नहीं। मैं तुम्हे एक ही ऐसौ तदबीर बता दूंगी, जिससे तुम्हे इतना यश मिलेगा कि तुम ऊब जाओगे। फूलों की इतनी वर्षा होगी कि तुम उसके नीचे दब जाओगे। गले में इतने हार पड़ेंगे कि तुम सीधा न कर सकोगे।
कानूनी--(उत्सुकता को छिपाकर)--कोई मज़ाक की बात होगी। देखो मिन्नी कास करनेवाले आदमी के लिए इससे बड़ी दूसरी बाधा नहीं है कि उसके घरवाले उसके काम को निन्दा करते हों । मैं तुम्हारे इस व्यवहार से निराश हो जाता हूँ।
मिसेज--तलाक का कानून तो बनाने जा रहे हो, अव क्या डर है।
कानूनी-फिर वही मज़ाक ! मैचाहता हूँ, तुम इन प्रश्नो पर गम्भीर विचार करो।
मिसेज़ -मैं बहुत गम्भीर विचार करता हूँ। सच मानो । मुझे इसका दुःख है कि तुम मेरे भावों को नहीं समझते । मैं इस वक्त तुमसे जो बात कहने जा रही हूँ, उसे मैं देश को उन्नति के लिए आवश्यक ही नहीं, परमावश्यक समझती हूँ। मुझे इसका पक्का विश्वास है।
कानूनी--पूछने की हिम्मत तो नहीं पड़ती। ( अपनी झेप मिटाने के लिए हँसता है।)
मिसेज- मैं तो खुद हो कहने आई हूँ। हमारा वैवाहिक जीवन कितना लज्जा-
स्पद है, तुम खूब जानते हो । रात-दिन रगड़ा-झगड़ा मचा रहता है। कहीं पुरुष स्त्री
पर हाथ साफ कर लेता है, कहीं स्त्री पुरुष की मूँछो के बाल नोचती है। हमेशा
एक-न-एक गुल खिला ही करता है । कहीं एक मुँह फुलाये बैठा है, कहीं दूसरा घर
छोड़कर भाग जाने की धमकी दे रहा है। कारण जानते हो क्या है ? कभी सोचा
है ? पुरुषों की रसिकता और कृपणता ! यही दोनों ऐब मनुष्यों के जीवन को नरक-
तुल्य बनाये हुए हैं। जिधर देखो, अशान्ति है, विद्रोह है, बाधा है। साल में लाख