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मानसरोवर


आ गये यह नहीं कि हर वक्त एक चौकीदार आपके सिर पर सवार हो । जरा-सी देर हुई घर आने में और फौरन् जवाब तलब हुआ, कहाँ थे अब तक ? आप कहीं बाहर निकले और फौरन् सवाल हुआ, कहाँ जाते हो और जो कहीं दुर्भाग्य से पत्नीजी भी साथ हो गई, तब तो डूब मरने के सिवा 'आपके, लिए कोई मार्ग ही नहीं रह ना भैया, मुझे आपसे जरा भी सहानुभूति नहीं। बच्चे को ज़रा-सा जुकाम हुआ और आप बेतहाशा दौड़े चले जा रहे है होमियोपैथिक डाक्टर के पास । उम्र खिसकी और लौंडे मनाने लगे कि कब आप प्रस्थान करें और वह गुलछर्रे उड़ायें। मौका मिला तो आपको ज़हर खिला दिया और मशहूर किया कि आपको कालरा हो गया था। मैं इस जंजाल में नहीं पड़ता।

कुन्ती आ गई। विक्रम की छोटी बहन थी, कोई ग्यारह साल की। छठे मे पढती थी और बराबर फेल होती थी। बड़ी चिबिल्ली, बड़ी शोख । इतने धमाके से द्वार खोले कि हम दोनों चौंककर उठ खड़े हुए।

विक्रम ने बिगड़कर कहा-तू बड़ी शैतान है कुन्ती, किसने तुझे बुलाया यहाँ ?

कुन्ती ने खुफिया पुलिस की तरह कमरे में नजर दौड़ाकर कहा- तुम लोग हरदम यहाँ किवाड़ बन्द किये बैठे क्या बातें किया करते हो ? जब देखो, यहीं बैठे हो । न कहीं घूमने जाते हो, न तमाशा देखने, कोई जादू-मन्तर जगाते होगे ?

विक्रम ने उसकी गरदन पकड़कर हिलाते हुए कहा- हाँ, एक मन्तर जगा रहे हैं, जिसमें तुझे ऐसा दूल्हा मिले, जो रोज गिनकर पांच हण्टर जमाये सड़ासड़ !

कुन्ती उसकी पीठ पर बैठकर बोली- मैं ऐसे दूल्हे से ब्याह करूँगी, जो मेरे सामने खड़ा पूँछ हिलाता रहेगा। मैं मिठाई के दोने फेंक दूंगी और वह चाटेगा। ज़रा भी चों-चपड़ करेगा, तो कान गर्म कर दूंगी। अम्माँ के लाटरी के रुपये मिलेंगे, तो पचास हजार मुझे दे देंगी। बस, चैन करूंगी। मैं दोनो वक्त ठाकुरजी से अम्मा के लिए प्रार्थना करती हूँ। अम्माँ कहती है, क्वारी लड़कियो को दुआ कभी निष्फल नहीं होती। मेरा मन तो कहता है, अम्मा को ज़रूर रुपये मिलेंगे।

मुझे याद आया, एक बार मैं अपने ननिहाल देहात मे गया था, तो सूखा पड़ा हुआ था । भादो का महीना आ गया था , मगर पानी की बूंद नहीं। तब लोगों ने चन्दा करके गांव की सब क्वारी लड़क्यिों की दावत की थी। उसके तीसरे ही दिन मूसलाधार वर्षा हुई थी। अवश्य ही क्वारियों की दुआ मे असर होता है ।