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मानसरोवर


जल्द बदल जाया करता है । जिसने अब‌ तक चोरी नहीं को, वह कभी चोरी न करेगा, यह कोई नहीं कह सकता । मैं पुलिस मे रिपोर्ट करूंँगा और एक-एक नौकर की तलाशी कराऊँगा। कहीं माल उड़ा दिया होगा। जब पुलिस के जूते पङेगे, तो आप कबूलेंगे।

प्रकाश ने पुलिस का घर में आना खतरनाक समझा। कहीं उन्हीं के घर से तलाशी ले तो अनर्थ ही हो जाय । चोले--पुलिस में रिपोर्ट करना और तहकीकात कराना व्यर्थ है। पुलिस माल तो न बरामद कर सकेगी; हाँ, नौकरो को मार-पीट भले ही लेगी। कुछ नजर भी उसे चाहिए, नहीं तो कोई दूसरा ही स्वांग खड़ा कर देगी। मेरी तो सलाह है कि एक-एक नौकर को एकान्त मे बुलाकर पूछा जाय ।

ठाकुर साहब ने मुँह बनाकर कहा---तुम भी क्या बच्चो-सी बातें करते हो प्रकाश बाबू ! भला चोरी करनेवाला अपने-आप कबूलेगा। तुम मार-पीट भी तो नहीं कर सकते। हाँ, पुलिस में रिपोर्ट करना मुझे भी फिजूल मालूम होता है। माल बरामद होने से रहा, उल्टे महीनो की परेशानी हो जायगी।

प्रकाश---लेकिन कुछ-न-कुछ तो करना ही पड़ेगा ।

ठाकुर --- कोई लाभ नहीं । हाँ, अगर कोई खुफिया पुलिस हो जो चुपके-चुपके पता लगाये, तो अलबत्ता माल निकल आये , लेकिन यहाँ ऐसी पुलिस कहाँ ।' तकदीर ठोककर बैठ रहो, और क्या ।

प्रकाश-आप बैठ रहिए, लेकिन मैं यो वैठनेवाला नहीं। मैं इन्हीं नौकरो के सामने चोर का नाम निकलवाऊँगा।

ठकुराइन-नौकरों पर मुझे पूरा विश्वास है। किसी का नाम भी निकल आये, तो मुझे सन्देह ही रहेगा। किसी बाहर के आदमी का काम है। चाहे जिधर से आया हो , पर चोर आया बाहर से । तुम्हारे कोठे से भी तो आ सकता है ।

ठाकुर~हाँ, ज़रा अपने कोठे पर तो देखो, शायद कुछ निशान मिले। कल दरवाजा तो खुला नहीं रह गया ?

प्रकाश का दिल धड़कने लगा। बोला--मैं तो दस बजे द्वार बंद कर लेता हूँ। हाँ, कोई पहले से ही मौका पाकर कोठे पर चला गया हो और वहाँ छिपा बैठा रहा हो, तो बात दूसरी है।

तीनो आदमी छत पर गये तो बीच की मुंडेर पर किसी के पाँव की रगड़ के‌