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कैदी


कोने में पराग की भांति रस छिपा रहता है । मैं तो समझती हूँकि रोमनमो यहे दमन नीति उसकी अवरुद्ध अभिलाषा की गाँठ है, और कुछ नहीं। किसी मायाविनी के प्रेम मे असफल होकर उसके हृदय का रस-स्रोत सूख गया है। वहाँ रस का संचार करना होगा और किसी युवती का एक मधुर शब्द, एक सरस मुस्कान भी जादू का काम करेगी। ऐसो को तो वह चुटकियो मे अपने पैरो पर गिरा सकती है। तुम जैसे सैलानियो का रिझाना इससे कहीं कठिन है , अगर तुम यह स्वीकार करते हो कि में रूपहीना नहीं हूँ, तो में तुम्हे विश्वास दिलाती हूँ कि मेरा कार्य सफल होगा। बतलाओ, मैं रूपवतो हूँ या नहीं ?

उसने तिर्छी आँखों से आइवन को देखा । आइवन इस भाव-विलास पर मुग्ध होकर बोला-तुम यह मुझसे पूछती हो हेलेन ? में तो तुम्हे संसार की

हेलेन ने उसकी बात काटकर कहा- अगर तुम ऐसा समझते हो, तो तुम मूर्ख हो आइवन । इसी नगर में नहीं, हमारे विद्यालय मे ही, मुझसे कहीं रूपवती बालिकाएँ मौजूट है। हाँ, तुम इतना ही कह सकते हो कि तुम कुरुपा नहीं हो। क्या तुम समझते हो, मैं तुम्हे संसार का सबसे रूपवान् युवक समझती हूँ ? कभी नहीं। मैं ऐसे एक नहीं सौ नाम गिना सकती हूँ, जो चेहरे-मोहरे में तुमसे कहीं बढ़कर है , मगर तुममें कोई ऐसी वस्तु है, जो तुम्ही में है और वह मुझे और कहीं नजर नहीं आती-तो मेरा कार्यक्रम सुनो । एक महीना तो मुझे उससे मेल करते लगेगा। फिर वह मेरे साथ सैर करने निकलेगा । और तब एक दिन हम और वह दोनो रात को पार्क मे जायेंगे और तालाब के किनारे बेंच पर बैठेंगे। तुम उसी वक्त रिवाल्वर लिये आ जाओगे और वहीं पृथ्वी उसके बोझ से हलकी हो जायगी।

जैसा हम पहले कह चुके है, आइवन एक रईसों का लड़का था और क्रांतिमय राजनीति से उसका हार्दिक प्रेम न था। हेलेन के प्रभाव से कुछ मानसिक सहानुभूति अवश्य पैदा हो गई थी और मानसिक सहानुभूति प्राणो को संकट मे नहीं डालती । उसने प्रकट रूप से तो कोई आपत्ति नहीं की, लेकिन कुछ रादिग्ध भाव से बोला---यह तो सोचो हेलेन, इस तरह की हत्या कोई भानुषीय कृति है ?

हेलेन ने तीखेपन से कहा-जो दूसरो के साथ मानुषीय व्यवहार नहीं करता, उसके साथ हम क्यों मानुषीय व्यवहार करें। क्या वह सूर्य की भांति प्रकट नहीं है, कि आज सैकड़ो परिवार इस राक्षस के हाथो तबाह हो रहे हैं? कौन जानता है,