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मानसरोवर


इसके हाथ कितने बेगुनाहों के खून से रेंगे हुए हैं ? ऐसे व्यक्ति के साथ किसी तरह की रियायत करना असंगत है। तुम न जाने क्या इतने ठण्डे हो । मैं तो उसके दुष्टाचरण देखती हूँ, तो मेरा रक्त खौलने लगता है। मैं सच कहती हूँ, जिस वक्त उसकी सवारी निकलती है, मेरी बोटी-चोटी हिंसा के आवेग से काँपने लगती है, अगर मेरे सामने कोई उसकी खाल भी सींच ले, तो मुझे दया न आये, अगर तुममें इतना साहस नहीं है, तो कोई हरज नहीं। मैं खुद सब कुछ कर लूँगी। हांँ, देख लेना, मैं कैसे उस कुत्ते को जहन्नुम पहुँचाती हूँ।

हेलेन का मुख-मण्डल हिंसा के आवेग से लाल हो गया। आइवन ने लज्जित होकर कहा-नहीं-सही, यह बात नहीं है हेलेन, मेरा यह आशय न था कि मैं इस काम में तुम्हे सहयोग न दूंगा। मुझे आज मालम हुआ कि तुम्हारी आत्मा देश की दुर्दशा से कितनी विकल है, लेकिन मैं फिर यही कहूँगा कि यह काम इतना आसान नहीं है और हमे बड़ी सावधानी से काम लेना पड़ेगा।

हेलेन ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा- तुम इसकी कुछ चिन्ता न करो आइवन, संसार में मेरे लिए जो वस्तु सबसे प्यारी है, उसे दाँव पर रखते हुए क्या मैं सावधानी से काम न लूँगी? लेकिन तुमसे एक याचना करती हूँ, अगर इस बीच मे मैं कोई ऐसा काम करूँ, जो तुम्हे बुरा मालूम हो तो तुम मुझे क्षमा करोगे न ?

आइवन ने विस्मय-भरी आँखों से हेलेन के मुख की ओर देखा । उसका आशय उसकी समझ में न आया ।

हेलेन डरी, आइवन कोई नयी आपत्ति तो नहीं खड़ी करना चाहता । आश्वासन के लिए अपने सुख को उसके आतुर अधरो के समीप ले जाकर बोली-प्रेम का अभि- नय करने में मुझे वह सब कुछ कहना पड़ेगा, जिस पर एकमात्र तुम्हारा ही अधिकार है। मैं डरती हूं, कही तुम मुझ पर सदेह न करने लगो।

आइवन ने उसे कर-पाश मे लेकर कहा-~~-यह असम्भव है हेलेन, विश्वास प्रेम की पहली सीढी है।

अन्तिम शब्द कहते उसकी आंखें झुक गई । इन शब्दों में उदारता का जो आदर्श था, वह उस पर पूरा उतरेगा या नहीं, वह यही सोचने लगा।

इसके तीन दिन पीछे नाटक का सूत्रपात हुआ। हेलेन अपने ऊपर पुलिस के नराधार सन्देह की फरियाद लेकर रोमनाफ से मिली और उसे विश्वास दिलाया कि‌