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मानसरोवर


और ले चले। उसी वक्त रोमनाफ ने आकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया और उसे अलग ले जाकर पूछा-दोस्त, क्या तुम्हारा नाम क्लोडियस आइवनाफ है ? हाँ, तुम वही हो, मुझे तुम्हारी सूरत याद आ गई । मुझे सव कुछ मालम है, रत्ती-रत्ती मालम है। हेलेन ने मुझसे कोई बात नहीं छिपाई । अब वह इस ससार में नहीं है, मैं झूठ बोलकर उसकी कोई सेवा नहीं कर सकता, तुम उस पर कठोर शब्दों का प्रहार करो या कठोर आघातो का, वह समान रूप से शान्त रहेगी, लेकिन अन्त समय तक वह तुम्हारी याद करती रही । उस प्रसग की स्मृति उसे सदैव रुलाती रहती थी। उसके जीवन की यह सबसे बड़ी कामना थी कि तुम्हारे सामने घुटने टेककर क्षया की याचना करे, मरते-मरते उसने यह वसीयत की कि जिस तरह भी हो सके उसको यह विनय तुम तक पहुँचाऊँ कि वह तुम्हारों अपराधिनी है और तुमसे क्षमा चाहती है। क्या तुम समझते हो, जब वह तुम्हारे सामने आँखों में आंसू भरे आती, तो तुम्हारा हृदय पत्थर होने पर भी न पिघल जाता ? क्या इस समय भी वह तुम्हें दीन याचना की प्रतिमा-सौ खड़ी नहीं दीखती ? जरा चलकर उसका मुसकिराता हुआ चेहरा देखो, मोशियो आइवन, तुम्हारा मन अभ भी उसका चुम्बन लेने के लिए विकल हो जायगा। मुझे ज़रा भी ईर्ष्या न होगी। उन फूलों को सेज पर लेटी हुई वह ऐसी लग रही है, मानो फूलो की रानी हो । जीवन में उसको एक अभिलाषा अपूर्ण रह गई आइवन, वह तुम्हारी क्षमा है। प्रेमी-हृदय बड़ा उदार होता है आइवन, वह क्षमा और दया का सागर होता है। ईर्ष्या और दम्भ के गन्दे नाले उसमे मिलकर उतने ही विशाल और पवित्र हो जाते हैं । जिसे एक बार तुमने प्यार किया, उसको अन्तिम अभि- लाषा की तुम उपेक्षा नहीं कर सकते।

उसने आइवन का हाथ पकड़ा और सैकड़ों कुतहल-पूर्ण नेत्री के सामने उसे लिये हुए अर्थी के पास आया और ताबूत का ऊपरी तख्ता हटाकर हेलेन का शान्त मुखमण्डल उसे दिखा दिया। उस निस्पन्द, निश्चेष्ट, निर्विकार छवि को मृत्यु ने एक देवी गरिमा-सो प्रदान कर दी थी, मानो स्वर्ग की सारी विभूतियाँ उसका स्वागत कर रही है। आइवन की कुटिल आँखों में एक दिव्य ज्योति-सी चमक उठी और वह दृश्य सामने खिच गया, जब उसने हेलेन को प्रेम से आलिगित क्यिा था और अपने हृदय के सारे अनुराग और उल्लास को पुष्पों में गूंथकर उसके गले में डाला था। उसे जान पड़ा, यह सब कुछ जो उसके सामने हो रहा है, स्वपन