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कैदी


है और एकाएक उसकी आँखें खुल गई हैं और वह उसी भांति हेलेन को अपनी छाती से लगाये हुए है। उस आत्मानन्द के एक क्षण के लिए क्या वह फिर चौदह साल का कारावास झेलने के लिए न तैयार हो जायगा ? क्या अब भी उसके जीवन की सबसे सुखद घड़ियां वही न थी, जो हेलेन के साथ गुजरी थीं और क्या उन घड़ियों के अनुपम आनन्द को वह इन चौदह सालों में भी भूल सका था? उसने ताबूत के पास बैठकर श्रद्धा से कांँपते हुए कठ से प्रार्थना की-ईश्वर, तू मेरे प्राणों से प्रिय हेलेन को अपनी क्षमा के दामन में ले। और जब वह तावूत को कन्धे पर लिये चला, तो उसको आत्मा लज्जित थी, अपनी सकीर्णता पर, अपनी उद्विग्नता पर, अपनी नीचता पर, और जब ताबूत कब्र में रख दिया गया, तो वह वहाँ बैठकर न जाने कब तक रोता रहा। दूसरे दिन रोमनाफ जव फातिहा पढने आया तो देखा, आइवन सिजदे में सिर झुकाये हुए है, और उसकी आत्मा स्वर्ग को प्रयाण कर चुकी है।




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