गया है तो तुम फौरन उसमें रहने वाले विचारों का ठीक ठीक पता लगा सकते हो।
लेकिन किसी-किसी का यह भी कहना है, कि मुख देख मनुष्य के अन्तर्गत विचारों का पता लगाने में कभी-कभी भूल होना सम्भव है; परंतु मेरे ख्याल से कभी भी भूल नहीं हो सकती। पवित्र और उत्तम विचार का कभी बदमाश जैसा चेहरा नहीं हो सकता और न आत्म त्याग और संयम से शराबी जैसा चेहरा हो सकता है। प्रकृति में कभी भूल नहीं देखी जाती। हमको उसका कौड़ी-कौड़ी बदला चुकाना पड़ता है।
क्या अच्छा हो यदि एक एक पुरुष को पकड़े और उनसे कहें, देखो भाई, तुम्हारे पास पारस पथरी है और इस अमूल्य शक्ति की सहायता से जो कि तुम्हारे पास है, तुम अपने जीवन की कुल नीच धातुओं को स्वर्ण में परिवर्तित कर सकते हो।
हां तभी तो अगर कोई यह कर सके। यदि किसी ने कभी ऐसा किया हो तो पागलपन समझा जाएगा, परंतु यह सत्य है कि मनुष्यत्व में यह द्योतक और परिवर्तन करने वाली शक्ति है। परन्तु शोक है कि वे ये नहीं जानते।
जिस बात को नेता और शिक्षक लोग नहीं जानते, भला उसको अन्य पुरुष कैसे जान सकते हैं। प्रत्येक सभा सोसायटी और गिर्जाघर में यह बात अवश्य सुनने में आती है कि
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