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पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/२७

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बाहयक्षेत्र पर विचार का प्रभाव।
 


दोष देने वालों को इस बात की तनिक भी ख़बर नहीं कि ऐसा बुरा स्थान उसने अपने आप ही चुना है और यह उसकी इच्छानुसार है। बाह्य क्षेत्र के कारण उसके बुरे साथी, मैला स्थान, बुरी अवस्था बाहय कारण ने नहीं पैदा कर दी है किंतु यह बाह्य क्षेत्र की अवस्था उसने स्वयमेव पैदा की है। उसका बाह्यक्षेत्र ऐसा ही है तो यह उसकी ही भूल है। इस बात का सबूत तुम्हें उस समय मिल सकता है जब कि तुम शहर के किसी बुरे स्थान में जाओ और वहां के रहने वाले की हालत देखो। सामने शराबी खड़ा है। उसने शराब पीना और अपने बुरे साथियों का संग करना त्याग दिया है अब देखो वह प्रतिदिन प्रातःकाल तरोताजा दिमाग के साथ अपने काम पर जाता है। सप्ताह के अन्त में वह अपनी सात दिन की मज़दूरी घर लाता है और अपनी स्त्री, बाल बच्चों के लिए कपड़ा और भोजन खरीदता है और घर के लिए अच्छा २ सामान मोल लेता है। अब बतलाइये कि बाह्य क्षेत्र की शक्ति कहां भाग गई। कुछ दिनों के बाद वह तुम्हें यह भी साबित करके बतला देगा कि बाह्य क्षेत्र में रोकने की कुछ भी शक्ति नहीं है और उसी गन्दे स्थान से वह तुम्हें सुन्दर, दृढ़, स्वतन्त्र और प्रसन्न चित्त मनुष्य निकलता हुआ दिखलाई देगा और तुम्हें उस समय वह स्थान उसके जीवन और चरित्र के लिए उत्तम और उपयुक्त जान पड़ेगा। अपने आपको वश करने से मनुष्य बाह्य क्षेत्र का भी स्वामी बन गया है।

साफ़ सुथरे मनुष्य को बुरे स्थान में रखना, गम्भीर और

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