शांत मनुष्य को मद्यपीने वालों के स्थान में रखना ओर अधिक परिश्रम करने वाले सच्चे, ईमानदार आदमी को नीच और गन्दे स्थान में रखना बड़ा ही असम्भव है। यदि तुम किसी व्यक्ति को इससे पहले जो परिवर्तन के लिए तत्पर नहीं हैं, अपने क्षेत्र से अलग करो और फल देखो क्या होता है। यह कि वह बाह्य क्षेत्र को अपने साथ ले जायगा और तत्काल उसको अपनी इच्छानुसार बना लेगा पहले आदमी के विचार बदलो तो बाह्य क्षेत्र बहुत जल्दी बदल जाएगा।
बाह्य क्षेत्र के जानने का एक मार्ग और है जिसको हमें नहीं भूलना चाहिए। हरएक आदमी ने शिक्षित मनुष्यों को जिनको सब प्रकार के सुभीते हैं, जो अच्छे स्थान में रहते हैं और जिनके सभ्य और शिक्षित मित्र हैं, यह शिकायत करते सुना होगा कि "हम अपनी योग्यता के अनुसार अच्छे क्षेत्र में नहीं हैं, परस्थितियां हमारे अनुकूल नहीं है। उनका कार्य हमारे अनुकूल न होने से हम दुःखी रहते हैं और इसी से हम उसको घृणा की दृष्टि से देखते हैं इस कारण हम न कुछ सामाजिक, आर्थिक अथवा आत्मिक उन्नति का, जिनको कि हमें आशा थी और अब भी आशा रखते हैं, उपाय करते हैं"। ऐसे ही आदमी ने एक बार मुझे लिखा था कि "दूसरे मनुष्य तो सफलता प्राप्त कर रहे हैं, उन्नति कर रहे हैं, मौका पा रहे हैं, हर्ष और आनन्द लूट रहे हैं, परन्तु हम इन सबसे बंचित हैं सो क्यों? मैं अपने काम को इतने वर्षों से कर रहा हूँ और मुझे वे पसन्द नहीं हैं।" बस सारा भेद इसी में है कि मैं अपने को पसन्द नहीं करता। उस महाशय को हमने लिखा
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