पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/११३

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७७ गई सो अगजननि श्री विक्टोरिया कित हाय , देखि न्याकुल सुतन कत नाहि गहति कर इत धाय । हिंदी अपील हिंदी अपीड से १ अष्टों द्वारा हिंदी को वर्तमान दशा एवं उसकी उन्नति पर विचार किया गया है । यह जानपुर-सभा के वार्षिकोत्सव में पड़ी गई थी। लनि समस्या-पूर्ति कविमन * उत्तम ग्रंथ, नाम नहि काग इक श्रृंगार ही को पंथ । असक अनुप्रास अतिशै उक्ति इनमें एक अंग है नाहि काम को हम कहेंगे महि टेक । पद्य काव्यहि सों न केवन सधैगो अब काम ; . गध सति उचित है यहि हेतु अति अभिराम । रचौ सीवन-चरित विदके जे प्रशंसा जोग: कला, विद्या, शूरता, बल, बुद्धि के संयोग । मदन-दहन मदन-दहन में कालिदास-कृत कुमारसंभव के तृतीय सर्ग का स्वच्छंद अनुवाद किया गया था। यह सरस्वती पत्रिका में छपा । इस उदाहरणतीनिह जोकन को हित कारज त्यों सुर जूधन जाचक पायो । . हे जग आहिरसर सिरोमनि घातक काम न तोहि बतायो । हे ऋतुराज सहायक तो बिनु आचेहु काज करै मनभायो : पावक पौन प्रचंड करे जिमि को तिहि को फरमान सुनायो। पुहुप असोकनि पदुम रावा मनि प्रजा लाचति । . कुस्सुम कन्दरनि कनक कांति छवि होन बनावति ।