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मिश्रबंधु-विनोद

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मिश्रबंधु विनोद १५६० में कुतयन शेन ने मृगावती-नामक प्रेम कहानी दोहा चौपाइयों में लिखी, तथा सेन कवि इस समय का अच्छा कवि हो गया है, जिसकी भाषा माध्यमिक प्रौढ़ हिंदी से प्रायः बिलकुल मिल गई है। अतः माध्यमिक हिंदी का प्रारंभिक काल इसी समय से समाप्त होता है। ... हिंदी के रूप इन ८०० वर्षों में हिंदी ने तीन रूप बदले, अर्थात् प्राथमिक हिंदी के दो और माध्यमिक का एक । अब तक के तीनों समयों का ब्योरा मोटे प्रकार से निम्नानुसार हैपूर्व प्रारंभिक हिंदी संवत् १३४३ तक . . .. उत्तर प्रारंभिक हिंदी संवत् ४४४ तक। पूर्व माध्यमिक हिंदी संवत् १९६० तक। .. द्वितीय समय नरपति नाल्ह से प्रारंभ होता है और तृतीय -विद्यापति ठाकुर से । यह तृतीय काल सूरदास के प्रथम समाश हुआ । दूसरा अध्याय प्रौढ़ माध्यमिक हिंदी ( १५६१) ..... धार्मिक उन्नति अब हिंदी-गौरव का सूर्योदय-काल निकट पा रहा था और . उसकी इस समय तक भली चंगी उन्नति होकर प्रौढ़ावस्था प्रा पहुंची थी। उधर अँगरेज़ी में संवत् ११३४ से विद्या का पुनरुत्थान एवं धर्मसंशोधन ( Renaissance. and Reformation) प्रारंभ हा था । हमारे यहाँ स्वामी रामानंद केही समय (संक्त ११५६ ) से उसकी जड़ पड़ चुकी थी, परत अब उसका पूर्ण विकास होना था। महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्म संवत् १५३१ में