पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/१७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

संक्षिप्त इतिहास-प्रकरण १४१

          अन्य लेखक

फ्रे ढरिक पिंकाट एक ऐसे अंगरेज़ हो गए हैं कि जिन्होंने हिंदी-प्रेम के साथ हिंदी-भाषा में ग्रंथ तक लिखे हैं । अन्य अंगरेज़ हिंदी-प्रेमी गण प्रायः अंगरेज़ी में ही उसके विषय में ही लिखा-पढ़ी करते हैं। व्यासजी ने कई एक गद्य और पद्यमय ग्रंथ विद्वता-पूर्ण लिखे और बदरीनारायण चौधरी ने कई ग्रंथ बनाए एवं सामयिक पत्र संपादित किए है यह भी पुराने नामी लेखकों में से थे । ग्रियर्सन महोदष हिंदी के परम प्रसिद्ध प्राचीन प्रेमी हैं । अपने अँगरेज़ी में हिंदी-साहित्य का अच्छा इतिहास-ग्रंथ बनाया है और भारतीय लिंग्विस्टिक सर्वे में अपने पांडित्य और हिंद-प्रेम का परिचय दिया है । आपका श्रम सराहनीय हैं। नाथू-राम शंकर ब्रजभाषा तथा खड़ी बोली के सुकवि है। दुर्गप्रसाद मिश्र एक अच्छे लेखक और पत्र-संपादक थे । नकछेदी तिवारी ने भी बहुत करके सरोज के आधार पर कवियों की एक सूची रची । लालबिहारी मिश्र ने कई अच्छे पद्यात्मक सानुप्रास ग्रंथ रचे । सुधाकरजी ने संस्कृत के विद्वान् होकर भी हिंदी पर श्रम किया । प्रतापनारायण मिश्र एक बड़े चटकीले गद्य और पद्य-लेखक थे। आपका ब्राह्मण-पत्र बड़ा मनोरंजक था। जगन्नाथप्रसाद भानु एक लेखक और विद्वान हैं । शिविनंदनसहाय ने कई उपकारी गद्य और पद्य-ग्रंथ नाटक तथा जीवनियाँ लिखी हैं । सीताराम ने अनेक अनुवाद तथा अन्य ग्रंथ रचे हैं। दीनदयाल शर्मा महामंडल के सर्वोत्कृष्ट व्यखयानदात्ता हैं। आपकी सिद्ध में बड़ा बल है। महावीरप्रसाद द्विवेदी एक भारी लेखक है । आपने कई उपयोगी ग्रंथों के गद्य में अनुवाद रचे है और हिंदी-हित मे आप सदैव बद्ध-परिकर रहे हैं । कई साल तक सरस्वती का अपने सफलता-पूर्वक संपादन किया है। ज्वालाप्रसाद मिश्र ने कई गवेषणा-पूर्ण ग्रंथ रचे । आप