पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/१८

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गृह : अध्याय १४–सौरकाल के शेष कविगह ... वाहूनानी । हितचंद्र गोवा श्रीगोपीनाथ प्रभु श्ददास जैन उस २८-३२३ २८७-३८७ २८७-२८७ २८७-२८७ २८-२८७ २८--२८६ ३८२-२८ २८८-२८६ २८६ --२८६ २८६-२८६ २८६-३६० २६०-३६६ २११—२६२ २६२-२६४ २६५-३६६ झालबद्र ३ लखचढ़ास ... अहान्न नरहरि चंदन स्वामी चिपटनिरंजन स्वामी बिंट्टलनाथज्ञ नरोत्तमदास 4 हरिश अल ... प्रवासानंद दैव ... मंडूराम टोइरसह बैरल ई ब्रह्म महाज्ञा सर्ज, दिटुद्ध विपुलं ... , ६५-२६१ ... २९५----३११ ३६१-३६६ ३१६-२६६ | २६६-२६६ २६६-३२० | उनले सदाच पृथ्श न ... ३०६-३०६ ३०-३३ ...