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संक्षिप्त इतिहास-प्रकरण १४५

भगवानदीन मिश्र,शरचंद्र सोम,देवीप्रसाद पूर्ण, जगन्नाथप्रसाद चतुवैदी राधाकृष्णदास,बलदेवप्रसाद मिश्र,देवकीनंदन खत्री,बालमुकुंद गुप्त, अयोध्यासिंह,उपाध्याय,किशोरीलाल गोस्वामी, लघुशरण प्रसाद,बदाघरसिंह ठाकुर,मुरारिदान, चंद्रकला बाई,सुबान,मथुरा प्रसाद मिश्र,द्विज गंग,ब्रजनंदनसहाय,चचनेश,गंगाप्रसाद अग्निहोत्री,गंभानाथ झा,रामबीलाल शर्मा, हरिपालसिंह क्षत्रिय,भगवानदीन,अक्षयवट मिश्र,गदाचर,श्यामसुंदरदास,वियोगी हरि, लोचनप्रसाद पढिय,मगन द्विवेदी,जानकीप्रसाद द्विवेदी,माधवराव स्प्रे,रघुनाथ प्रसाद,पथसिंह शर्मा,देवीप्रसाद शुक्ल,बाबूराव पराढ़कर, अक्षिकाप्रसाद वाजपेयी,श्रीप्रकाश,शिवप्रकाश गुप्त,रूपनारायण पढिय,भुवनेश्‍वर मिश्र, मैथिलीशरण गुप्त,गणेश शंकर विधार्थी, माणिक्यचंद्र,जैन,भवाशंकर,जीवन शंकर, कृष्णकांत,भवानीशंकर,पदुनलाल-पन्नालाल बक्शी,देवीदत्त शुक्ल,सुदर्शनाचार्य,उमा नेहरू,रामेश्‍वरी,गोपालदेवी,लक्ष्मणनारायण गर्दे,प्रेमचंद्र,बगद्विहारी सेठ,दयाशंकर दुबे,जैन वैद्य,महेशचरनसिंह,सत्यदेव,रामचंद्र शुक्ल, बदरीनाथ भट्ट,चंद्रमनोहर मिश्र,रामचंद्र वर्मा, कृष्णबिहारी मिश्र,सनेही,दुलारेलाल भार्गव, शिवपूजनसहाय,ईश्‍वरप्रसाद मिश्र,कृष्णदत्त पालीवाल,ब्रजवरदास जयशंकर प्रसाद,रामशंकर त्रिपाठी,चंद्रमौलि शुक्ल,गुलाब,विश्‍वंभरनाथ शर्माकौशिक,उग्र,विराला आदि हैं,जिनमें कुछ का स्वर्गवास हो गया है और कुछ वर्तमान हैं।

 शरचंद्र सोम ने महाभारत का राधानुवाद लिखकर बढ़ा उपकार किया हैं और पूर्णजी वर्तमान समय के वास्तव में सत् कवि थे। राधाकृष्णदास गद्य और पद्य के अच्छे लेखक एवं हिंदी के उन्नायक थे। बलदेवप्रसाद मिश्र ने अनेकानेक उपयोगी ग्रंथों का अनुवाद हिंदी मे किया और देवकीनंदन खत्री ने हमारे उपन्यास-विभाग को खूब उन्नति दी । इनके लेखों में यदि