पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२०१

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अखलइ ई १८} बळ मुलं सुवर दुख हरन, होहि हो सिट नाय । कुश्त मिश्र ११:२७ } ऐक्य कुंव वनै छवि पुंछ र अन्य दुत में इस जोड़ें । जैव किरञ्च है इनमाळ झिकित या अधिक माँ दी । दामिनि म कि कौन हैं झुग हात छ अरनिए ये छिन छ ।

  • इ , उमई अझै यि हुन , मुख देबि हें ।

| सुखदेव मिश्च । १३८ । अङ्कलन यू बिन के, इन ३ अरू हुन्छ गढ़द दाढ़ी से बढ़ि, मइद मुटु स् सनि, | बकापुर ओन्य दलमति सुरई मैं ; छाडिदा कोष्यों और अर्चिवा अल्सर, तर ऋग्वारे ही पुडुम युवाइँ मैं । द ॐ भकलि मई सेइङ घमंड ची । होहू की छहर मिरि ॐ तराई मैं; ३ ॐ सुकं अद्ध कीन्हो अक्सिई । । सानै उरी चहुंडई सन्तकुंडा की शराई हैं । | भूषख छिपाढ १ ३७३१ ईर हुरहू सद्धि कर रट्ट सुन्न । बैर ३ ठट्ट ॐ जुगै तुरा की । भूक्न अन्ठ सहाँ चैपति ॐ साह , ॐ रन ख्यालं हैं के छात्र हिंदुजाने की है।