पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२१५

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आदि-अकृणु प्रारंभिक एवं पूर्व माध्यमिक हिंदी झावों अध्याय पूर्व प्रारंभिक हिंदी दिर दल भा का लोम है, ॐ विषधयः श्रुझत, न्दिर, इंदल, अखंड, स्किड़ ब्रादि ॐ ओछी हर है, और स्पान्यतया बंदल झै छीद का दत्त श्री मध्य-रल * माफ है । मोटें प्रकार से इॐ झाया भी कहते हैं। इसके डल के विषय में दो मास ईं, क त यह कि यह संस्कृत की दुई। हैं और द्वितीय नष्ट कि इसकी उत्पत्ति प्राकृत से इ; अथवा यों कहें कि प्राकृत हैं। दृल्ल-दलले अई हिंदी हो गई है। अतिर छह का विहार इसी द्वितीय सत र अमना है, यईये. यहु-8 घि युद्ध काम भी प्रथम क्रत ग्राह्य समझते हैं । । लिपिस्टिक अरसे में 4 ग्रिंकू ने इस विषय अ ब अ किया ६ रु जी के एवं अन्य जे ॐ आश्चार में दिख अथीर- क्रिज्ञा प्रत से ही निकली हैं, पर तु कुछ संस्कृत, झार अड़े है ? निकली हुई आन पड़ती हैं। शेष शब्दों में हिंदी नै संकृत, अक्कल, कारली, अरबी, अँरे, चीनीः, ॐ आदि भाषा से छाया है और कुछ ॐ पत; अतः है।।