पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२३२

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मिश्रबंधु-विनोंद

अञ्जबंधु-वनोद झन र स्वळ कॅलक्ष के समय और इस प्रकार उसे कंद.. अधीराज का सहायक छ । जब संवत् १३४८ को पृथ्वज झुम्मद उरी द्वारा पकड़े गए, तब बंद में अपनी रचना ज्ञई को देकर अन्यन स्वामी के इद्धारार्थे शोर-देश को प्रस्थान किया हो ऋहीं झाक-समेत नई संभवतः सं० १३४६ में देहांत हुॐ । चंद ॐ पिडा अंध और बुरु गुरुप्रसाद थे। | द ने भूकमात्र ग्रंथ पृथ्वीराज रासो बनाया, जो माथः इजर धृष्ट का है। इसमें कोई ढाई सौ पृष्ठों में और विषय कति ? हैं और शेष अॅथ में पृथ्वीराज कन हाल अड़े विस्तारपूर्वक हिस्सा हैं। कुछ पंड़ित ने संदेह हो गया है ॐि रस्सर उस समय क्का अंथ नौं । है, दर किली में लाखों लताब्दी में बंद के नाम से उसे असं दिः । ऐसा कथन्दं रासो में री-शब्दों के आने तथा उस्मा: झविष झालंही अशुद्धिया के कारण किया गया है, 'शत्रु : का संदेह इठा अ आए था और पंडितों के बहुमत का कुछ इसई कोर समझ पड़ता है कि रास, जाली नहीं हैं। चंद स्वयं : मुसलमाकी झज्य में इल्प हुआ था और उस समय यूज के राज्य की समा अवश्य से मिली हुई थी । न्यारक छ नीतिक संबंध से की मुसलमानों को बतायात यह दिए, रूप न था इतः यदि सैकड़े में सात-आठ शब्द फ़ारसी के चई

  • कन्य ॐ धाए जा, हे बह कोई संदेह का कारण नहीं हो

सस्यले ॐ अव में भी चिंकार करने से संदेह निर्मल करता है । 'चंद का दिया हुआ ये संवत् जस्तविक संकल् ले ६० वर्षे पीछे है। झुरको ज्ञान छूत है कि उसके संवत् अटकपचू चहीं हैं, अरू रिहीद इधर ई चाहते हैं । अवे के अशा ॐ काह है , युहीन इस भविश्यका संयनं अशुद्ध र