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मिश्रबंधु-विनोंद

भिअंकुविनोद राज ग्रह नामेश नयर पुडुची अक्वाखंड । जे अरई सेलिङ नरिंद नरवर में जु सारी । | सु . तपाई ' अहवत मति अभय कुमारी । दाम-{ } विजयसेन सूर जैन । । यदेवंतर-राइ । उन्हाळ्य--१२८८। । बिश–बस्नुपाल मैत्री के गुरु थे । उदाहरण- शरमेसर सिरह मय पंकज पणमेकि । ..... । भरिश सुरस रेवन गर्ने -अंकि दिवि सुमिरेवि । बहाम्रर पुर क्र गह-सरिसरदर सुप युनु देवि भूमि दिसि पच्छिमह महरु सोरठ देसु ।। . जितु नहिं मैडल मंड्याउ सरस्य अडड महंतु ! निम्मल काम किहर झर रेहड़ गिर रेवतु ।। सु सिरि सामिछ सुमउ खोइय सुंदर सरु ।। xxहद निम्मल कुछ तिङ निवसइ नेमि कुमारू। तलु मुह दैसम्लु दस दिवि देसि दिसंर्तरु संध । यावह भाछ इसलि म उहाल देश सग । रन्कस्छु कुल मंङळ नंद असा राय } बस्तु पाले वर मति नहिं वे पाळु दुइ भाइ । गुर्जर और धुर धवल चीर बदल देवि राजि । | ब्रिड बंधने यायिज़ समझ दूसम साफ । रेख में १३१६ के १ ६४ } बल -चामक एक ऋवि की दल दी हुई हैं हैं - | ... क क ते एक हैं जनि कोश करो झुम्मान ; कोडं प्रकट कोड हैं जानि रहे भान ।