पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२४९

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११३ विंझर--- ठक्कर अाहे के पुत्र लक्ष न उई अरु कै ष्य में अङ्गु हुनळू युङ लिमुहू; अं---शिवदत्त-न्स । अहि- १ } इनिंद सूरि जैन इंछ-कुलकाद्ध-सि ।। इन उत्तर शोभळ झाल में पूर्ध-काल की पेक्षा हिं ने बहुत सैदोषाभिन्डी अति नै । इस नाम में उसके कृठ से बहुत करके छुटकारः निम्न दइया और बंने यह रूप घरस किया, जिसकी दृष्टिक्षर हुई है इसी संसद में कार शोध के दुध - | इं, परंतु समय में उनके दशों को नष्ट करके इनके नाम भी कुल र } औद्ध से शुस समय ॐ कुछ क्या था ग्रंथों की युवा