पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२५५

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३३) सुब्द भाई - झा भी चा-या संङ ६५३

  • * धड़ $ अइ स्वर इमानंद के अरण्य थे । हुन दिवा

विश्व के ग्रंथ साह में हैं। सरोकार ने कुछ केन का समय छत ३६० लिम्र है इश् इन्हें इन धृवाङ् किं है,जिस्ट इन दल स्थान पर किंग जाय । इदक का भी हुसकी कार में नहीं हिनी ६ कक्षते हैं कि रीव ॐ अहाजा इस महक के प्रिय | १ २८ } क्या भङ्गाहेंदळी सहन्दि शाष्ट्र के शिष्य संम् ३ ४ ५७ जगभर थे । इन्हें अछुतम्-अॐ कह श्रय इज फर एङ्क ग्रंथ लिसर है। | ( २६ } पत्रिए म ञ्च भई उमानंदजी के xि और शुक्र प्रसिद्ध अछि अ ! अश्र मालमड़ ॐ रवा थे, परंतु का छांछ र कु- र मुर्जर के हाथ द्वारा प्र है , लौटते समय कुछ, पठन्डेय ने इनकी अब सीता र हृय छन् स्वाहा, आलू छते हैं कि स्वयं माइन् ? उनकी रक्षा ॐ । सके और भी घटना इंन्टके विषय में सिद्ध हैं। कई कवियों ने इनका हल चिला है ।। . १ ३० } धन्दा र १३१) रैदास ही महात्मा इमानंद के हि

  • छवि और घर अद्धि सङ्ख ४ }. महाड शैद्धसज्जी की

ॐ रक्षा ग्वार थे, अरंतु भ%ि के कारस्य कुल छूए क्या था । देह की याद, सहावी और अ- इनके छ अंश्च सन् १६ ३२ हुन्छ वा कमाल, ८ में हैं, अह लिया है ये रायसेन- ले का हो रदय, अरंतु इन्हें इस इद्ध जयपथ पर चढ़ा हीं दिया है इन रद्धा अंथ इद में हैं । . ..