पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२६३

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एकाएदास कुछ श्रापमं ; ॐ वैरह । गे महाराज पक्-मल्ट के संस्थापक अ भा धाग्या शटर भृश्यर जज से हो गए हैं। इनके जन्म से १५२६ में हुय: : अ' र १६१६ में दे पंक्त्र र राप्त हुए। इन्होंने हिंदू-मुसलमान भता से मिझाया और तप के झंझट से कहें कि हुए अन मन्त्र के अधिकार फिर से झगृत किए। इस दर में इन मत भड्दमा तमबुद्ध के मत में बहुत भिन्नता छ । उन्होने भी gो सऊथ के गैरव ॐ बहुत बढ़ाया था । नानकज वदाँत मत छः नुयशी तथा शुक ईश्वर के सुननेवाले थे । इन्हें रिहरि, अष्ट्रयस-काश्म इंश्नर में कई बार है । छः सिं का नानक भरे हरि भन्दा अई बिधि लड़ को भरन । बदन में कई लाभ न होथ ददा । कहि नाक अजु इरि अदा और ३ काम के पास है।