पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२६७

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आदि-अरण दाभों और कुहबल ने केंद्र और मुल्ला दाङई को चलाई हुई प्रेम कारियों के लिंडने की प्रणाली को इङ किया है कुल मिलाक हिंदी की उश्चति इस काल में भी अच्छी हुई और सर अल के लिये रवा साफ़ हो गईं। इस काह तक कोई भाषा इढ़ता से स्थिर नहीं हुई थी और जो कविं जहाँ सिखता था नहीं की भाषा वह विस्तया व्यवहृह ऋता धा; तो भी ध्यान से देखने पृढ़ स्पष्टत्या वाट । जायरवा कि लोगों का झन भाषा की अोर अधिक होने लगा था और स्थानीय भाथः ॐ सुध-साथ प्रायः सभी नामी कविं उसका अश्य लेने लगे थे। अतः ब्रजभाषा का सर्वव्यापन होने का सूत्रपद इक काल में हुआ।