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मिश्रबंधु-विनोंद

मिश्रबंधु विनोद ।

विचार में सूरदास के समय तक भाषा

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मिश्रबंधु-विनोंद

में तरक्की की और इसी

कारण सूरदास व जायसी की भाषाओं में अंतर है । सन् संक्त् पर ध्यान देने से यह मत बिलकुल अशुद्ध ठहरेगा, क्योंकि यदि मान भी क्षेचें किं जायसी सूरदास से पहले के थे, तो भी भाषा दस-पाँच अरस में इतनी नहीं सुधर सकती जिसनः अंतर कि इन दोनों क्यिों की आषाओं में है। यथार्थ बात यह है कि इन दोनों कवियों ने अपने- अपने निवासस्थान की भाषा में कविता की है ! हम कबीरदास को बर्तमान भाषा का वस्तुतः प्रथम कबि मानते हैं । | पद्मावत की कया यह है कि सिंहलद्वीप के राजा गंधर्वसेन के एक परम रूपवर्ती कन्या हुई, जे लए और नाम दोनों में पद्मिनी यो । उसके यहाँ हमणि-नामक एक बड़ा चतुर तोता था जो किस प्रकार से चित्तौर के महान्दा रतनसेन के हाथ बिका । इस रतनसेन से पद्मिनी के रूप की इतनी प्रशंसा की कि बह इस्मक वेज में योगी बनकर सुए के साथ घर से निकल पड़ा । वड़ी कठिनता से राजा मंधर्वसेन ने पद्मिनी का विवाह रतनसेन के साथ कियः । महराकर बहुत दिन तक सुख-भूर्वक चित्तौर में रहते रहे । अंत में पद्मिनी के रूप का वर्णन सुनकर अलाउद्दील, बादशाह उस पर मोहित हुआ है वह ३२ दर्प तक चित्तौर का घेर किए रहा, पर दुर्ग-विजय न कर सकी और न पद्मिनी ही को पा सका है केव एक बेर कुर्मः हृति शाह ने उसका स्वरूप देख पाया । अंत में अन्य से बढ़ रतनसेवा केो बंद करके दिल्ली ले गया । रानी वृद्मिन के संबंधी दोरर व बादल ने ससैन्य दिल्ली जाकर बड़ी इलाकों के शव को छुड़ाकर चित्तौर पहुंचा दिया, परंतु रास्ते में बादशाह से ढ़ने में गोरा बड्दै बीर-पूर्वक लुढ़कर सारड़ गया । तत्पश्चाता अकिली के कारस्थ नाचीं और राजा देवपाल से युद्ध हुआ, जिसमें रामा.. और इज्म दोनों मारे गए और पद्मिनी पति के साथ सर्तः