पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/३२३

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प्रौढ़ माध्यमझ-प्रकरण | २८ चौदहवाँ अध्याय सौर काल के शेष कविगण । { १५६१ से १६३० तक } नम-(६ } नुरानी गाँव निवासी । • अन्ला --११३० के लगभग ! ऋवितमनु-११६१ ॐ खगभग । विवरण-तोषश्रेणी । ये महाशय गोस्वामी श्रीहितहरिवंश के । दाम- ६ } हित कुणचंद् गोस्वामी । ऑय-{१) अशाशतक, ( २ ) सारसंग्रह, १३} अर्थकौमुदी, | ( ४ ) कर्णानंद, (१) धानुनय-विनोद, { ६ } काव्य- अष्टपदी, { ७ } स्फुट पद। जन्म-का -११४०।। वितालु-११६७ ।। दिदर --स्वामी इितहरिवंश के द्वितीय पुग्न थे। नाम-- ६६} श्रीनाथ प्रभु। जन्म-लू-११४ । इचाकछ-११३८ । . क्रि-स्वासी हित हरिबंशज के तृतीय पुत्र तथ्य चुक्दास- | जी के शुरू में । नमः-- १) बङ्गदासः । मंथ-पद । । ऊन्म-झाङ-११४० के गया। विवरण-हिताश हाप्रभु ॐ शिद थे।