पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/३३९

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प्रौढ़ साध्यमिक-प्रकर इसमें *ग का नाम नहीं हैं। यह किसी अन्य कृषि का इना है । पर हमारे सत में गैर झा र राजैब के समय तङ वित हनु भई अस्लॅबद्ध हैं । छ ने अझदर के पाढ़ जैसद्ध के सिक्कों अब्र बैग्नम वञ्चिः ब्रहते थे। पुत्र अब्दुल्लरहीम खानाः ६ प्रशंसा में बहुत-से छंद बनाए हैं। इसमें एवं जनश्रुति द्वारा समरू पुड़त हैं कि ग अब $ी स ॐ इहते हैं । इयुवक कत्र वाखान्य-ऐसे ही और सल्कचि के त्रिदा द्वार होला भन्न सौं ऋर हो ही खता था ॐि उनसे अच्छा सम्मान ४, सो इस ऊँचे नुज्ञे पर पहुँचने के लिचे गं-येले साधारण श्रेः ॐ अनुष्य के बृहत ससूर लगा हो। इससे विचार होता है कि इ अवस्था में यदि रहीम से बड़े नहीं, . उनके इराक्र अवश्य होंगे। हम कः। अन्को बस् १६ १० ॐ हुई थी और उनकी मौत सं १६८३ ॐ हुई । तर उसी समय संभवतः ७५ वर्ष के हो र यंग का स्लॅबत् १७३७ तक जीवित नहस हैं जबकि औरंगज़ेद गद्दी पर बैठा ) प्रायः संभल जान पड़ता है। उर्चुके ही छैद की स्थिति और कथा ॐ इतने प्रचार में हमें आने पढ़ा है कि मं? ऋवि किसी को कर झि से हाथी द्वारा अवश्य चीरे ६ थे और वें हाथ के वज़ पेद, ॐ क्लर, सङ्घ सके, जैसा हो:जी अनुमान रहें हैं, क्योंकि इन में से दे छुड़े इस अनुमान के प्रतिद्रू हैं। मैं समझ रहता है कि को का समय सँत् १५१० से १६७० तक का होई । कोई नतम ऋवि झिी शप्पाष्टक के समर्थन करने को छु इ क्यों ना ? उपर्युक्ल द्वितीय कुँडांश में किसी कवि का सच्चा वा ६ च इकट होता हैं . | माँग यद्यधिं बहुत बढ़िया कवि थे और उन्हें इज़र इंद हैं। हे, तर टन्की अदिता केसः हुए । ॐ हैं ये उनका एक ः अंध नहीं देने और बहुत से पर हमें उन त । त:स छैद से अभई छ सिद्ध झै । इ स ऊहाऊत्रि में गंग