पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/३८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

औदृ अध्यलिअरन्छ विंचरण----यह इतिहास-ग्रंथ किंसी झवि ने इनके नाम क्या । नाम-- ६७४ } मुन्नीलाल । प्रय--रामप्रकाश । कृविताका--१६४३। । नाम-(१ ) पांडे द्भिनदास। | ग्रंथ-(१) जेयूचरित्र, १२ } ज्ञान सूर्योदय, ( ३ ) स्फुट | झवित्त । रचनाकाल----१६४३। नाम-{ * } कल्याण देव जैन ।.. अंथ-देवराज बच्छराज चंपई ।। 'रचनाकाल-१६४३।। विवरण---श्वेतांबर साधु ज़िन चंद्र सूरि के शिष्य थे । ... उदाहरण- जिम्वर चरण कमल नमी सुह गुरु हीय धरेसि । । समस्या सवि सुख संपजइ भाइ सयले कलेसि। । बुद्धइ घण सुरू पाइए बुद्धइ लहिए राज ; बुद्धइ अति गरु अउ पस्द्ध बुद्धि सरई संवि काज । • बिद्याध्छरः कुल ऊषनी सुर के अभिधान । राजा न श्रति मानिता अनिता भाँहि प्रधान । संवत् सोल याला बरसिद्द । एह प्रबंध किंयउ भने झुसिद्धि । बिक्रम नवरंइ रिषभ जिस } जसु समरश सवि टरूङ कलेस सोलहवाँ अध्याय माध्यामिक तुलसी-काज { १६४६-७९ }....

शेष कविगण । नाम--( १७५) दुरसा { जी ) चारण ठिी मारवाद ।