पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/३९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

प्रौद्ध माध्यमिक-छ विदर----बै महाशय कादिर छवि के गुरु ३३ ' . ' नाम--{ १९७) रानी रारधी रान, सिरोही ।। अनाक्काल---१६११ । । नाम----{१६} हरिरस । अंध----{ १ ) छंदरावली ( १६५), (३) मानकीरामचरित्र | नाटक द्वि० ३० दि०)। " .... रचनाकालु---१६५१ । ।

  • दिया--लङ्गबाट के वंशज । . .

नाम--- १७ } मात्र छैन । ' ग्रंथ-~-पुरंदरकुमार चमई, (३) मौजबंध। रचनक्किल---१६३३ ! विवरण---बढ़गच्छीय भावदेव सूरि के शिष्य थे। उदा- देर नारा ॐ रसिझ से सुशिय रूच चित लाइ ; . हूँढन् कहि घुमाइयहिं बिना सरल तरु भाइ । • सरस था अइ होई व सुइ सहि मद जाइ । जिहाँ सुवास होवहिं कुसुम रस मधुर तिहाँ अड्।ि भादद सूरि गुणनिलउ बढभछ कामको दिंर्ण । " , " तासु सु सँस शिष्य कई मालव अम्बई । ना--- १६८} संभवी प्रज्दाखे ।। विक्र--सा अंशी ।। नाम- १६६ } खेमदास बैंडस्ट्री । अंध---सुसंवाद है । ।