पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/४०१

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प्रौढ़ माध्यमिक-अकदछ । अर्थ-हरिरामदासजी की बानी । जन्मकाल-१६३१ ।। चनाकाद्ध-१६६० । दिदररू–राजपूतानी भाषा में । । । नाम-{ २३४) मिसि ।। रचनायल-१६६६ । विकसह---इनकी ऋविता बहुत इत्तल और सरस है। दाम---{ २३* } ऋषभदास जैन । अंध- १ ) श्रेशिक रास, ( १६६२) ६. ३ ) कुमारपाई | सि, { १६७० } { ३) रोहिणीय रहन्छ । .....। रचनाका–१६६२।। नाम-- ३४धर्मदास ! अंथ-~~-महाभारः। पं०३० दि० ।। रक्चाका--१६६४ । किंव -चुं० २ र ३ सय १११ डिखा हैं । चास--- ३४} सचमरू ब्रह्मचारः । । अंथ-{१} भविष्यदत्त चरित्र, ३ २ } सीता चरित्र । स्नाद्ध---१६६४ ।। ३क्रया--- चंदुभट्टारक के भय थे । नाम -१२* } पद्धः । । विक्रू-बदालीदास के मित्र थे : - चन्दाक्का--१६६५३ ,"