पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/४०५

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मॅौद माध्यमिक प्रकरण ३६३ - रचनाकातृ---१६६६ के पूर्व [ खोज १६०० ]। विवरण--जैनमतानुसार ( सरस्वती-तुति ) नाम-- २४८ } मुनि हास्य । । वाद-मंदोदर-संवाई। रचनाकाल-१६६६ के पूर्व [ खोज ११०० ।, नाम- २४६ } बिहारीन, ब्रज के निवाई ।।

  • अंथ-भगवत सिंजू की ऋ [ प्र० ३० रि० ३ । ।

. :. रचनाकाद्ध-.-१६६६ १ विवर----मवत रसिक के अनुथार्थ : खज-रिपोर्ट में इनकी

  • समयं १६३२ निझडती हैं।

" नाम-- २५०) वृंदावनदास प्रवासी । | जन्म-काल--१६४१। .. सत्रहवाँ अध्याय अंतिम तुलसीकंल { १६७१ से संबंद १६८० तक) के शेष्यं कंक्मिण २५.१ लीलाधर .. . ...अंकेत छह हमारे बँखने में आए हैं। ये संवत् १६७६ के ॐ ॐ हैं. इसी कवि | स्टुभरङ्ग कपूर ३ कागज . । साधंवा अखें। झी को मानते हैं। सूदन ने ३ इथे हम चिखा है, और इस ३ औ कामय. . ॐ मः : काम