पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/४११

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प्रौढ़ माध्यमिक प्रकरछ | (२५५) जटमल इस कवि ने संवत् १६८० में हर बादल की थी गद्य में ही और इस भाषा में खड़ी बोली में प्राधान्य है। अतः वढी बोली प्रधान द्य की गंश भाट के पीछे सबसे प्रथम रचयितां यह अदम कवि है ! खोज १६०१ ] इदाहरखु--. गोरा बादल की कथा सुरू के वस सरस्वती के महरवानगी से पूरन भई तिस वास्तें गुरू कू चे सरस्वती के नमस्कार करता हूं। ये कथा सोक्ष से असी ॐ साल में इन सुदी पुनम ॐ से बनाई। ये कथा में दोर से डीरा रस बसी र स हैं । सों क्या । मोर छड़ बांध गाँई की रेहूनैसला कर्वेसर कहीं उस गाँव के लोग मोहोंत (बहुत ) सुकी हैं, घर-घर में आनंद होता हैं, कई र में फ़कीर दीखता नहीं ! धरम सी नाव का देत न कर बेटा अमद्ध नाव कवेतर में ये कथा सवलगवि में पूरणं करी ।” इस समय के अन्य कबिंगई। नाम-( २५६ ) वंशीधर मिश्र सैदीजे हिं० हरदोईब्दालें । ऋवितामद्ध--१६७३२ . . विरण-निम्न झै ही। .. .. . . । नाम- २३७) मुकुंददास ।, ... ग्रंथ--ौक भाषा [द्वि० वैः हिं०]। . .. अवताल----१६७३ } : नाम--- २१६} अन ऋवि पाठक। नेताकाळ-१६४ ० ३। । । विवरण---दित्नी के समीप रहदें मैं ! इन्हें वादशाह अकबर ने, अरद नाम की रि रहुई दी है ।