पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/४३६

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टिप्पणियाँ, शब्दार्थ, नोट आदि के अतिरिक्त इसमें २५० श्रृष्ठ की विस्तृत अालोचनात्मक भूमिका भी है, जिसने सोने में सुगंध का काम किया है । इससे इस पुस्तक की उपयो- गिता और भी बढ़ गई हैं । प्राचीन काव्य-प्रेमियों के लिये तो यह एक अनूठी चीज़ है ही, पर नवयुवक साहित्य- प्रेमियों भा इसमें ढेरों नई और ज्ञातव्य बातें भी मिलेंगी। प्रत्येक हिंदी-काव्य-प्रेमी को इसकी एक प्रति तो अपने पास अवश्य ही रखनी चाहिए । पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है । फिर भी ५००५ ५ ० पृष्ठ के इस सुंदर ऐंटिक कागज़ पर छपे हुए पाथे का मूल्य केवल २) हैं; सजिल्द ।। सर्व प्रकार की हिंद-साहित्य की पुस्तकें मिलने का पता--- संचालक गंगा-मुल्तकमाला-कार्यालय २९-३०, अमीनाबाद-पाक, लखनऊ