पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१११

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मदिरान] पूर्वानश्वरम् । ५११ भी कविता की है, परन्तु उसको अप पती नहीं लगता । इस प्रत्य में मंझोली सची के ८४ पृष्ठ है। इसके एच' छन्दविचार के फार मिया । पिगढ़ के सर्वोत्कृष्ट आचार्यय समई जारी है। किलो कधि नै पैसे अच्छे बड़े पिमझ नहीं बनाये हैं। उत्तर - बिधन भिनासन है, आर्छ आलु आसन हैं, से पाकलालन ३ सुमति करने के। आपदा में शुरन हैं, सम्पदा के करन में सदा के घरन है मरन असम केर ॥ कंज्ञ कुल की है १ नव पल्लव न जा सरि | सुखदेच सैहै धरे ग्रन थरन की। वृद्धि के विधायक सफल हुदायक मुसेवा कवि नायक विनायक चरम के । छाधार में पड़ो साचो में ५० पृष्ठ हैं, जिन में इमरी धति में प्राप्त पृष्ट ६ ११ छन्द पहित हैं। इस प्रा में अमेठी के जो दिमतसिह ६ घश का विस्तारपूर्वक बर्णन है। यह इन्हीं महाराज की आज्ञानुसार वना है । यथा :- नृप हिम्मति के हुकुम ते मं% सुकवि सुभदैय ।। न्यारे न्यारे कद्दल हैं पिंल के लय भैव । इसमें भी पिंगल का यिय लागापाग पनि हो । इसमें अवारों में चसुत से छन्द डिग्मतना ६ की प्रशंसा के पाये जाने ६, और कुछ में 2 गादि का वर्णन है। यह भी पम महर