पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/११८

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FFधरान् । [* ११५ दिन में घिउ भूर जाते हैं। धेरै धयां में नाम ग्यि रखने में पुराने पद्माद थड़े उपरी ने हैं । | फिर पिय वयियों के नाम एक हिट नै म भबिष्य सवारी अर्थपा इतिवारी वा पास पहुत सुगम है। ज्ञाता है । यदि पारिदासी ६ हजारों में ३१३ वर्धा में नाम एषत्र हाही न मिल जाते हैं। शायद यनिजी : उनका पना गा लेने में पड़ी पाई है। पर फिर भी उन सय में नाम एषद्म न हो सकते। हमें इल्पतराय और धरन सरत् १२ ॥ एव सः मिल गया, समय में हालि दास ६ दिजादा से १६ चर्प पीछे है। इसमें केपट ४४ पर्यो । नाम आये है, परन्तु है भी पी के समय निरूप में में इस घी मद६ मिः । दिपति जी ने यह अन्य नहीं देंग्या थी, से इसी छोटी सी सूची में से ई पनियों के नाम सरीज़ में नहीं हैं। इस पिचार से में पुजारा के पारण कालिदास वो भाष्य काम का प्रथम इतिहाससदायक समझना चाहिए। यदि शियस इज इनना विशाल परिश्रम न पर आये होते, ती आज्ञ में भाग ३ इतिहास छिपाने का साहस ही शायद न देता। याल्दिाम की फपिता का केवल एक बार उदाहरण म नोचैल्सि फर्स प्रजन्य दें समाप्त करते हैं। Bध हाँसि दीन्ह भीति अन्तर परसि प्यारी दैतद्दी छ मति कान्द्र अग्रीन पी। निवस्यै झराधा माझ विस्या कमर | सम लिड अँटी दा चमक चुन्नोन पी में