पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१२६

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५४ [मश्रगन्धुझिने । , (म, १९३० जेपर ज्ञडाक मार अगम अंशन है। नेयर जड़ाऊ तेज तर्रान र प । ध गुचे मंडल मयूग्न वें महाराज झुटि के पाफर के ऊपर छा घर ॥ मधिं घुमदि घन अायत अट्टान ३ घन मन जाति इट्टा छकि छटक जात । सार फर' चानक मार पित्र पवार मेर श्रीच मारि गरि चटक मटक जात ॥ सघन ही अधिन सुनै ६ घनस्याम की अगन ४ यि पय पटक पके ज्ञात । दिये विद्दानद्ध घी घन अपार उर इरि: गझमेनिन के पटक चटके जात पन्द अरिवन्द विम्ब द्मि फनिन्दं सुकं । शुन्युन गइन्स् कुन्द फळी निदर्पत है। चापा सम्पा सम्पुट फाँट घनस्याम कट्ट। हुकुम । अगा पाना कति है ।। ३ कमेन पिक पल्लव पालन्द्री धन । दरके निरखि दरियो छतिया चरति है। मेरे इन अनि फी नकल बनाई विधि मकल विलाई माई म कल परति हैं। { ४३६ ) नेयाज । इस नाम के सीम पचि हुप हैं, जिनमें से एक ने भगवन्य वरची छा अश यन किया हैं। दमारे इस लेख के नायक मैत्राज