पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१३०

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५८ मिसम्युबिगाइ । ।। २० १४ विपति वही सई स इतर विपत हैं दूर। तारे न्यारे रहत ६ गईत राइ सति सुर ॥ नाम--(४४३) बाल अली । ग्रन्-- भैइभकाश, ३ साताराम ध्यानमञ्जरी । कविताका–१७२। चियरइन्हमें जैतुमकश में १५१ देगी, पुत्र से में रामचन्द तथा जनिफी फा पश वर्णन किया है और सीतारा- भ्याभज में पुर एष राज भवन धा रामजान या घड़ी की पत्नी से मनेंद्र फया में हाल कहा है। इनकी गणना कैप फी इ में की जाती है। इन गन्ध पर जनयलडिहीरण ने कई फी है । इसने प्रन्ध छतरपुर दरबार में देने। उदाहरण - नेई सरोवर के यर दाउ र टि भई का। अनुराग अति असन के झपटे लोचन भन्छ ! याम बरन तम् सॉस जैसे? पाप रद्दी फ। भय नीरज ते निकसि भात जनु जति भयो नि । श्री मुझ पर दिय झलक अरक असे रूस में घुपरे। रहे घेरि नष फज मधुप सैरभ भतवारे 11 सवि: तिर ललाट पटल छथि परत दिनैनै । लत फट्टी उपर समदु नच फु दन देखे ।