पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मुपाया] लंकृत छ । ३१५ । नाम(४७६) दरियाव । ग्रन्थ-दरियावजी की वा। रचनाल—६७३२ से १८४४ हक कभी। नाम-(४७७) पीरदान लिया ( मारषद की एक जाति ) मारवाड़। अन्ध-फुटकर गत मश्गापा । रचनाकाल-१७३२॥ विषर-आग्रयदाता महाराना राजसि । नाम-(४७८) ब्रजनाथ झाझा कम्पिटी । ग्रन्–गगल । रचनाफाल-१७२६।। मामे--(४७६) बलराम् । ग्रन्थ-(१) रसिकविवेक, (२) झुलना । जन्म सच-१७०५ | रचनाका-३७३३। विवर–कविता में पजावी लहजा है। नाम (४६०) वाजीन्द्र। अन्य-(१) राजशीर्तन, (३) शुग श्रीमुलनामा ! न्म सब-१७०८। वनकाल–७९ नाम (४६१) लादास अगराबातें ।