पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१३८

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मिभयन्धुदि । [सं० १७३४ मन्थ–११)इतिहासार समु, (२) अयपपिंडास (१७३४), | (ॐ धारमासा, (४) भरत की धारामासी। रचनाकलि-१७३४।। विरा—अदधविलास एमने देसाई। साधारण कचिंता उसने हैं। इसी नाम के एक वैश्य ये आयरे में १६४३ में हो गये है। दोनों के ग्रन्थों में समय लिने है। नाम-(४८२) फमनै राजपूताना । रचनाकाल–१७३५ के प्रयम् । नाम-(४८३) तैमपाणि । जन्म-सचन्-१७०८) रचनाकाल–१३५॥ चिचरयौन धेची नाम (४८४) मीर रुस्तम रचनाकाल-१७३५॥ विचरण-साधारण भेग्यो । इन के उद् कालिदासज़ारा में हैं। नाम-(४८५) मारी माधव । रचनाकाल-१७३५॥ पिंपर—साधारय श्रेण नाम-(४८६) सहीराम । जन्मसमर्-१७२८ । नाफाल-३७३५॥