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सेनापति
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पूर्णाकृत प्रकरण

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११ नापति ] पूर्वाष्र्तकृत प्रकरण । | मूर्द्धन के अगम सुगम एक वाके की हीवन बिमल विधि युद्ध हैं अथाह की। कोई है अभंग फैई पद है सभंग । सैाधि देने सघ सम सुधा राई की। इन के निधान ॐद काप सावधान की रसिक सुजान सा करत हैं गाइफ । सेक सियापति के सेनापति क्षत्र से ज्ञाकी है अरथ कविताई निराइ फी ॥ देय से मौन गुनहीन कविताई है। ढा ने अरवीन पर्यन कोई सुन है ।

  • बिनुदी सिपाप सव सीखि सुमति

जादै सरस अनूप रस रूप या धुन है । धूपन के करि। कमित्त भिनु भूपन की | जोषाः प्रसिद्ध पैसे कान सुर मुनिदै । राम अरे सेनापति चरचतु देऊ कथित रचनु याते पद चुनि जुलि हैं। पति न मैथै पा विगढ़ ॐ लच्छन । बुध : के उपकंठदि वसई है। जैरी पद मन के इरख उपदायिरी ३ ती फी कुमार से जे छंद सरसति ६ ॥ अरसद करत ऊ मापुस | जाते जगती की जड़ताऊ चिनसनि ।