पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१५५

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लेनाथ ] गूलंकृत प्रकरण । नाम (५३६) लेकनाथ चैवे बूंदी। गन्ध--(१) रसतर, (२) हरिबंश चारसी का भाष्य। समय-७६६ । विचर--ये महाशय दूरबार बूंदी में राव जा चुदसिह जी के आश्रित थे, और इF ने उन्ह के नाम से यह अन्य बनाया। एक बार राम राज्ञा काबुल जाने थे। इस समय कचि जी के भी साथ चलने का डुमि हुआ। तब मी स्त्री ने जेा कविं थीं इनके पास एक एम्द लि भैना, जिसे रारा राजी ओ दिग्त कर इन्हों ने यहाँ जाने से छुट्टी पाईं। इनवाइ फाय साधारण ४ ग्री का है। बदाहरण लीजिए :- भूप निवाज्यों से सिवा भत्तज़ि जू में | यापन ६ बापने धरा १ जस राय हैं। दिल्लीसा दिलिप भए ६ घानाना जिन | गैग से गुनी कै लाग्ने मैजि मुन भाब ६ ॥ अब ववजन १ सफल समस्या हेत हाथी घोड़ा हैङ्का ३ पदापी व नाव हैं। बुद्ध द्विवान लोकनार्थ कविराज्ञ कहे दिया इक लेरा पुनि धौलपुर गाँव है ॥ नाम-(५३७) कावेरानो चाये किनाध की खो दी। चना । समय--१७६० ।