पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१९४

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मिश्र-युविनोद। [सं० १११॥ नाम-(५८३) मनि कंट। कपिताकाल-१७५४ के पूर्वं । विदर-सूदन ने इनका नाम छिया है। माम–१५८४) मान । अन्ध-(१) महावीर जी के नक्षत्र, (२) इनुमानपचीसी, (३) रामकुटविस्तार, (४) दुनू नाटक। करितालि–१४ के पूर्वं ।। वियर-इनको नाम सुदन जर ने निज कृत सुज्ञानचरित्र में दिया है। नाम--(५८५) मित्र । कविताकाल--१७५४ के पूर्व ।। विपरशनका नाम पदन ने छन्ना है। नाम-(५८६) सुनो । कबिताकाछ-१५४ के पूर्वं । विवेय मुदन कपि ने इनका नाम लिम्रा है। नाम--(५८७) रमापति । कविनकाल––६७५४ के पूर्व । बियर-मैथिल कवि हैं । इन भाम सुन नै सुजानधरिष में लिया है। माम–(५८८) आधार प्रा।