पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१९९

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ग्रेन वैवाल] पूपांतकृत प्रक्रए । नाम-(६१०) नाथ। | कविताकाल–१७५७ ते १८१७ राफ। विषरण राजा भगवन्त राय दोषी नधा फाजल अष्ट्र मन्त्री और गजेब के यहाँ थे । नाप की धेशी के फधि हैं। इनका अस्तित्व सन्डिन्ध है। २७ में अध्याय के नाच देखिए। नाम-१६११) मनोहर । कविताले–१७५७ । अन्ध-११) राधारमण सागर, (२) नाम-लीला ( पृष्ठ ३८), (३) धर्मपत्रिका नाग—(६१३) राजाराम । मुन्ध–पटपं नाशिका ! कवितकाल–७९७ । नाम-(६१३) घारदा पुष । अन्य–काकार। फवितकील-१७५७ ! नाम-(६१ ४) शिवदास, अकवरपुर। अन्ध-शालिग है। काँपतवाल- ५७। विपर—आधदना इनके राजा दुलपतिय पतिया के थे। 'ग-(६१५) कुर गैपददसिंह दैटर्भॐ